Thursday, May 1, 2014

भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणायाम

सुखासन,सिद्धासन,पद्मासन,वज्रासन में बैठें। दोनो अंगुठोसे कान पुरी तरह बन्द करके, दो उंगलीओको माथे पे रख के, छः उंगलीया दोनो आँखो पर रख दे| और लंबी सास लेके कण्ठ से भवरें जैसा (म……) आवाज निकालना है|

लाभ

  1. पॉझीटीव्ह एनर्जी तैयार करता है|
  2. सायकीक पेंशनट्स को फायदा होता है|
  3. मायग्रेन पेन, डीप्रेशन,ऑर मस्तिषक के सम्बधित सभि व्यधिओको मीटा ने के लिये|
  4. मन और मस्तिषक की शांती मीलती है|
  5. ब्रम्हानंद की प्राप्ती करने के लीये|
  6. मन और मस्तिषक की एकाग्रता बढाने के लिये|

महोदय, मैने पिछले पांच वर्षो के निरंतर अभ्यास के बाद यह निष्कर्ष निकला है की :- अनुलोम विलोम प्राणायाम में साँस लेने की शुरुआत यदि दायीं नासिका से करते हुए अंत में दाई नासिका से साँस छोड़ा जाये तो मन में क्रोध तथा चिडचिडापन रहता है! तथा इसके विपरीत यदि साँस लेने की शुरुआत बायीं नासिका से करते हुए अंत में बायीं नासिका से ही साँस छोड़ा जाता है तो मन शांत रहता है ! लेकिन आदरनीय विद्वानों द्वारा हर बार साँस लेने की शुरुआत दाई नासिका द्वारा ही बताई जाती ह ! क्रप्या सपष्ट करें.! my e mail id id prsnlart@gmail.com & prsnlart@ymail.com

स्त्रोत : विकीपीडिया

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